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Monday, March 22, 2010

"ओ प्रीत भरे संगीत भरे! "

ओ प्रीत भरे संगीत भरे!

ओ मेरे पहले प्यार !

मुझे तू याद न आया कर

ओ शक्ति भरे अनुरक्ति भरे!

नस नस के पहले ज्वार!

मुझे तू याद न आया कर।




पावस की प्रथम फुहारों से

जिसने मुझको कुछ बोल दिये

मेरे आँसु मुस्कानो की

कीमत पर जिसने तोल दिये

जिसने अहसास दिया मुझको

मै अम्बर तक उठ सकता हूं

जिसने खुदको बाँधा लेकिन

मेरे सब बंधन खोल दिये


ओ अनजाने आकर्षण से!

ओ पावन मधुर समर्पण से!

मेरे गीतों के सार

मुझे तू याद न आया कर।




मूझे पता चला मधुरे तू भी पागल बन रोती है,

जो पीङा मेरे अंतर में तेरे दिल में भी होती है

लेकिन इन बातों से किंचिंत भी अपना धैर्य नही खोना

मेरे मन की सीपी में अब तक तेरे मन का मोती है,




ओ सहज सरल पलकों वाले!

ओ कुंचित घन अलकों वाले!

हँसते गाते स्वीकार

मुझे तू याद न आया कर।

ओ मेरे पहले प्यार

मुझे तू याद न आया कर


कोई दीवाना कहता है (२००७) मे प्रकाशित

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